अन्तर्दशा साधन विधि :
महादशा संख्या वर्ष में महादशा वर्ष संख्या का गुणाकर १० से भाग देने पर प्राप्त लब्धि मास ( माह ) होंगे। ( यदि माह संख्या १२ से अधिक हों तो इसको सवर्णित कर साल तथा माह बना लें ) शेष को ३० से गुणाकर १० से भाग देने पर प्राप्त लब्धि दिन कहलाएंगे।
उदाहरण :
मान लीजिए गुरु की महादशा में गुरु की ही अन्तर्दशा निकालनी हो तो आप जानते है गुरु की महादशा १६ वर्ष की होती है। इसलिए नीचे १६ को लिया गया है, अन्य उपरोक्त सूत्र के अनुसार साधन किया गया है।
१६ *१६ = २५६ भाग १० = २५ मास अथार्त २ साल १ माह प्राप्त हुआ।
शेष ६ * ३० = १८० भाग १० = १८ दिन प्राप्त हुआ।
अथार्त २ साल १ माह १८ दिन होगी। गुरु के महादशा में गुरु का अंतर्दशा प्राप्त हुआ।
इसी प्रकार यदि गुरु की महादशा हो और शनि कीअन्तर्दशा निकालनी हो तो आप मेरे पहले के लेखों के द्वारा जान चुके है कि शनि की महादशा १९ साल की होती है। इसलिए साधन में ( १६ ) गुरु के महादशा वर्ष और ( १९ ) शनि के महादशा के वर्ष लिए जाएंगे।
१६ *१९ = ३०४ भाग १० = ३० मास को १२ से सवर्णित कर प्राप्त २ साल ६ माह होंगे।
पुनः शेष ४ * ३० = १२० भाग १० = १२ दिन
अथार्त २ साल ६ माह १२ दिन होगा यह गुरु के महादशा में शनि के अन्तर्दशा की अवधी प्राप्त हुई।
इसी प्रकार हम अन्य ग्रहों के विंशोतरी अन्तर्दशा को आसानी से निकाल सकते है।
अन्य :
१ - अष्टोत्तरी अन्तर्दशा निकालने के लिए, अष्टोतरी महादशा वर्ष गुणा महादशा वर्ष भाग ९ के उपरांत उपरोक्त सूत्र के अनुसार साधन करना चाहिए।
2 - यदि योगिनी अन्तर्दशा दशा ज्ञात करना हो तो, योगिनी महादशा वर्ष गुणा महादशावर्ष भाग ३६ के उपरांत उपरोक्त सूत्र के अनुसारसाधन करना चाहिए। ( यदि ३६ से भाग ना जाता हो तो वर्ष को शुन्य समझ कर पुनः गुणनफल में १२ से गुणा कर माह ज्ञात करना चाहिए )
प्रत्यन्तर्दशा साधन विधि :
जिस प्रकार प्रत्येक ग्रह की महादशा में नौ ग्रहों की अन्तर्दशा होती है, उसी प्रकार एक अन्तर्दशा में नौ ग्रहों की प्रत्यन्तर्दशा होती है।
सूत्र : महानाथ दशावर्ष से अंतरनाथ दशा वर्ष को गुणा कर पुनः प्रत्यंतर दशानाथ वर्ष से गुणा कर प्राप्त गुणनफल को ४० भाग देने पर प्राप्त लब्धि प्रत्यंतर दशा के दिन मान्य होगी। ( अथार्त विंशोतरी महादशा वर्ष )
जैसे सूर्य की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा ३ मास १८ दिन है। इस ३ मास और १८ दिन में उसी क्रम और परिमाणानुसार ९ ग्रहों की प्रत्यन्तर भी होता है। प्रत्यन्तर्दशा निकालने का नियम यह है कि महादशा के वर्षों को अन्तर और प्रत्यन्तर्दशा के वर्षों से गुणा कर ४० का भाग देने पर जो दिनादि आयेंगे वही प्रत्यन्तर्दशा के दिनादि होंगे।
उदाहरण-
मान लीजिए सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा हो और उसी चंद्र अन्तर्दशा में ९ ग्रहों का प्रत्यन्तर्दशा निकालनी है हो तो :
सूर्य की महादशा ६ वर्ष x चन्द्रमा की अन्तर्दशा १० वर्ष = ६ × १० = ६० x १० = ६०० भाग ४० = १५ दिन चन्द्रमा का प्रत्यन्तर निकला।
गुणनफल ६० x ७ = ४२० भाग ४० = १० दिन शेष २० अथार्त ३० घटी मंगल का प्रत्यन्तर निकला।
गुणनफल ६० x १८ = १०८० भाग ४० = २७ दिन राहु का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० x १६ = ९६० भाग ४० = २४ दिन गुरु का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० × १९ = ११४० भाग ४० = २८ दिन, ३० घटी शनि का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० x १७ = १०२० भाग ४० = २५ दिन, ३० घटी बुध का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० x ७ = ४२० भाग ४० = १० दिन ३० घटी केतु का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० x २० = १२०० भाग ४० = ३० दिन ( १ मास ) शुक्र का प्रत्यन्तर है।
गुणनफल ६० × ६ = ३६० भाग ४० = ९ दिन सूर्य का प्रत्यन्तर ।
अगले भाग में हम होरादि चक्रों का विश्लेषण करने का प्रयास करूँगा तब तक बने रहिए और सुखी रहिए ।
धन्यवाद,
प्रणाम,🙏🙏🙏🏻
ज्योतिर्विद एस एस रावत
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