सम्पूर्ण भाव साधन :
दशम लग्न :
०१ / २३ / ४७ / ०२ + ६ राशि = ७ / २३ / ४७ / ०२ चतुर्थ लग्न
अब चतुर्थ भाव में लग्न घटाना होगा
७ / २३ / ४७ / ०२ - ०४ / २४ / १३ / २२ = ०२ / २९ / ३४ / ४० को अंशात्मक करके अथार्त ८९ / ३४ / ४० को अब ६ से भाग देने पर लब्धि = १४ / ५५ / ३६ / ४०
३० / ०० / ०० / ०० अंश
-१४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
प्र० भा० ०४ / २४ / १३ / २२ / ००
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
प्र० भा० संधि ०५ / ०९ / ०८ / ५८ / ४०
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
द्वितीय भाव ०५ / २४ / ०४ / ३५ / २०
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
द्वि० भाव संधि ०६ / ०९ / ०० / १२ / ००
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
तृतीया भाव ०६ / २३ / ५५ / ४८ / ४०
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
तृ० भाव संधि ०७ / ०८ / ५१ / २५ / २०
+ १४ / ५५ / ३६ / ४० लब्धि
चतुर्थ भाव ०७ / २३ / ४७ / ०२ / ०० उपरोक्त / पूर्व साधित तुल्य
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
चतुर्थ भाव संधि ०८ / ०८ / ५१ / २५ / २०
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
पंचम भाव ०८ / २३ / ५५ / ४८ / ४०
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
पं ० भाव संधि ०९ / ०९ / ०० / १२ / ००
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
षष्ठ भाव ०९ / २४ / ०४ / ३५ / २०
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
षष्ठ भाव संधि १० / ०९ / ०८ / ५८ / ४०
१५ / ०४ / २३ / २० शेष
सप्तम भाव १० / २४ / १३ / २२ / ०० उपरोक्त / पूर्व साधित तुल्य
जैसा की सूत्र में ६ राशि जोड़ने की विधि बताया गया है अब उस प्रक्रिया से अन्य भाव साधन करना चाहिए।
अष्टम भाव ११ / २४ / ०४ / ३५ / २०
अष्टम भाव संधि ०० / ०९ / ०० / १२ / ००
नवम भाव ०० / २३ / ५५ / ४८ / ४०
नवम भाव संधि ०१ / ०८ / ५१ / २५ / २०
दशम भाव ०१ / २३ / ४७ / ०२ / ०० उपरोक्त / पूर्व साधित तुल्य
दशम भाव संधि ०२ / ०८ / ५१ / २५ / २०
एकादश भाव ०२ / २३ / ५५ / ४८ / ४०
एकादश भाव संधि ०३ / ०९ / ०० / १२ / ००
द्वादश भाव ०३ / २४ / ०४ / ३५ / २०
द्वादश भाव संधि ०४ / ०९ / ०८ / ५८ / ४०
नोट : भाव साधन से चलित चक्र में किस प्रकार ग्रह को परिभाषित किया जाता है उसका प्रयास हम अगले भाग में करेंगे।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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