चर साधन :
चर साधन में सर्वप्रथम अभीष्ट स्थान का अक्षांश एवं उस दिन की रविक्रांति की आवश्यकता होती है तत्पश्चात निम्न सूत्र द्वारा चर का साधन किया जाता है।
अक्षांश स्पर्शज्या गुणा क्रांति स्पर्शज्या को त्रिज्या से भाग देने पर चरज्या, इसका चाप = चरचाप * ४ = चरमिनट या चर मिनट * १० = चरपल होगा।
आपको किताब में प्रत्येक अक्षांश एवं क्रान्तियांश पर चर सारिणी प्राप्त हो जाएगी। जिससे आप सुगमता से चर साधन करते समय उपयोग कर सकते है।
उदाहरण :
यदि १ जुलाई को जन्म स्थान काशी हो तो साधन कैसे करें इसका प्रयास करते है।
काशी का अक्षांश २५ / १८ , रविक्रांति २३ / ०९
१- ( प्रथम समीकरण )
२५ अक्षांश एवं २४ क्रांतियांश पर प्राप्त चर ४७ / ५६
२५ अक्षांश एवं २३ क्रांतियांश पर प्राप्त चर - ४५ / ४० = ०२ / १६ अंतर
०२ / १६ * ०९ ( क्रांति कला ) = १८ / १४४ सवर्णित कर = २० / २४ पुनः ६० से भाग देने पर लब्धि ०० / २० / ४०
२५ अक्षांश एवं २३ क्रांतियांश पर प्राप्त चर ४५ / ४० / ००
९ क्रांति पर प्राप्त चर + ०० / २० / २४ = ४६ / ०० / २४
अथार्त ४६ / ०० / २४ यह २५ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रांति पर चर आया।
२ - ( द्वितीय समीकरण )
२६ अक्षांश एवं २४ क्रांतियांश पर प्राप्त चर ५० / १०
२६ अक्षांश एवं २३ क्रांतियांश पर प्राप्त चर - ४७ / ४५ = ०२ / २५ अंतर
०२ / २५ * ०९ ( क्रांति कला ) = १८ / २२५ सवर्णित कर = २१ / ४५ पुनः ६० से भाग देने पर लब्धि ०० / २१ / ४५
२६ अक्षांश एवं २३ क्रांतियांश पर प्राप्त चर ४७ / ४५ / ००
९ क्रांति पर प्राप्त चर + ०० / २१ / ४५ = ४८ / ०६ / ४५
अथार्त ४८ / ०६ / ४५ यह २६ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रांति पर चर आया।
३ - ( तृतीय समीकरण )
तृतीय समीकरण के लिए द्वितीय समीकरण में प्रथम समीकरण घटाने के बाद साधन की प्रकिया किया जाता है।
२६ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रांति पर चर आया ४८ / ०६ / ४५
२५ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रांति पर चर आया - ४६ / ०० / २४ = ०२ / ०६ / २१
०२ / ०६ / २१ * १८ ( अक्षांश कला ) सवर्णित कर = ३७ / ५४ / १८ पुनः ६० से भाग देने पर लब्धि ०० / ३७ / ५४ / १८ यह अक्षांश कला १८ पर चर आया अब इसको २५ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रान्तियांश पर प्राप्त चर ४६ / ०० / २४ जोड़ने पर अभिष्टचर होगा।
२५ अक्षांश , २३ / ९ क्रांति पर प्राप्त चर ४६ / ०० / २४
१८ कला अक्षांश पर प्राप्त चर + ०० / ३७ / ५४ / १८
योगफल = ४६ / ३८ / १८ / १८
यह २५ / १८ अक्षांश एवं २३ / ९ क्रांति पर चर आया = ४६ / ३८ / १८ / १८
चुकी १ जुलाई सायन मेष से सायन तुला के मध्य ( २१ मार्च से २० सितम्बर ) है और काशी उत्तरी अक्षांश में है। अतः यह चर ऋणात्मक - होगा।
मानक सूर्योदय ( मध्यम ) ६ / ०० / ००
चर मिनट ( उपरोक्त ४६ / ३८ / १८ / १८ ) - ० / ४६ / ३८ = ५ / १३ / २२
स्थानीय समय आया ५ / १३ / २२
स्पष्टान्तर पूर्व वेलांतर संस्कार में हमने निकला था + १ / २९
स्टैण्डर्ड ( घड़ी ) सूर्योदय उस दिन काशी के लिए = ५ / १४ / ५१
अथार्त काशी का सूर्योदय = ५ / १५
इसी प्रकार किसी भी दिन एवं देश के किसी भी स्थान का सूर्योदय काल का साधन किया जाना चाहिए। यदि भारत से बाहर का सूर्योदय साधन करना हो तो उसका साधन विधि भी हम फिर कभी प्रयास करेंगे।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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