सूर्योदय साधन के लिए अक्षांश , क्रांति , वेलांतर , मध्यान्तर , एवं चर की आवश्यकता होती है। इन्ही को पहले समझने का प्रयास करते है।
अक्षांश :
ध्रुव स्थान से ९० अंश पर जिस वृत्त का निर्माण होता है उसे विषुवत वृत्त कहते है। तथा विषुवत वृत्त का धरातल विषुवत रेखा कहलाता है विषुवत रेखा से जो स्थान जितना अंश उत्तर अथवा दक्षिण होता है। उस स्थान का उत्तर और दक्षिण के भेद से उतना ही अंश उत्तर या दक्षिण अक्षांश कहलाता है।
रेखांश :
दोनों ध्रुव स्थानों एवं खमध्य से होकर जाने वाले वृत्त को याम्योत्तर वृत्त कहते है याम्योत्तर वृत्त का धरातल भूमध्य रेखा ( याम्योत्तर रेखा ) के नाम से जाना जाता है भूमध्य रेखा से जो स्थान जितना अंश पूरब और पश्चिम होता है उसी को रेखांश ( देशांतर ) कहा जाता है।
मध्यमान्त्तर :
प्रत्येक देश का मानक रेखांश होता है उस मानक रेखांश से उस देश के अन्य स्थानों पर अंतर मध्यमान्त्तर ( रेखांतर ) कहलाता है। यह मध्यमान्त्तर पूर्व और पश्चिम के भेद से दो प्रकार का होता है पूर्व रेखांतर धनात्मक और पश्चिम रेखांतर ऋणात्मक माना गया है।
मध्यमान्त्तर साधन :
किसी भी देश के मध्यम स्थान तथा उस देश अभीष्ट साथ ( जन्म स्थान ) का अंतर कर शेष में ४ से गुणा कर अभीष्ट स्थान का मिनटात्मक मध्यमान्तर होता है।
यदि अभीष्ट स्थान से मानक स्थान कम हो तो धनात्मक तथा अधिक हो तो ऋणात्मक साधन किया जाता है।
वेलान्तर :
दो समयों का अंतर ही वेलान्तर कहलाता है। या मध्यम और स्पष्ट सूर्योदय के अंतर को वेलान्तर कहा जाता है।
+ - वेलान्तर + - मध्यमांतर = + - स्पष्टान्तर होता है
उदाहरण :
भारत का मानक ८२ / ३०
काशी में जन्म हो तो काशी का रेखांश ८३ / ००
८३ /०० - ८२ / ३० = ०० / ३० अंतर गुणा ४ = २ / ०० काशी का मध्यमान्तर अथार्त
अभीष्ट स्थान से मानक स्थान कम हो तो धनात्मक ( + २ /०० )
नोट : स्पष्टान्तर साधन में मध्यमान्तर का विपरीत ही संस्कार किया जाता है।
यदि जन्म १ जुलाई हो तो वेलांतर + ३ / २९ होगा ( वेलान्तर सारणी से लिया गया है किताब में मिल जायेगा )
जन्म १ जुलाई का वेलांतर + ३ / २९
काशी का स्पष्टान्तर - २ / ००
उस दिन काशी का स्पष्टान्तर आया + १ / २९
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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