भयात भभोग :
३- नक्षत्र की वृद्धि होने पर भयात भभोग का साधन :
जब कोई नक्षत्र दो सूर्योदय काल में भोग करता है तो उसे ही नक्षत्र वृद्धि कहते है।
नक्षत्र वृद्धि की ३ परिस्थितियां होती है
पहला जन्म नक्षत्र के प्रारम्भ से प्रथमसूर्योदय तक , दूसरा प्रथम सूर्योदय से द्वितीय सूर्योदय तक , तीसरा द्वितीय सूर्योदय से नक्षत्र समाप्ति तक।
पहला जन्म नक्षत्र के प्रारम्भ से प्रथमसूर्योदय तक : ६० घटी में गत नक्षत्र का मान घटाकर शेष ६० घटी और द्वितीय सूर्योदय के बाद नक्षत्र समाप्ति तक के मान को जोड़ने पर भभोग एवं गत नक्षत्र को इष्टकाल में घटाने पर शेष भयात होगा।
उदाहरण :
मान लीजिए जन्म रात्रिशेष ५/३० पर , इष्टकाल ५९/४२/३० गत नक्षत्र अनुराधा ५९ / ३७ वर्तमान नक्षत्र ज्येष्ठा है।
भभोग साधन : ६०/०० घटी - ५९ / ३७ गत अनुराधा = ००/ २३ शेष + ६० घटी ( प्रथम सूर्योदय से द्वितीय सूर्योदय का मान ) + ४ / २८ द्वितीय सूर्योदय से नक्षत्र के समाप्ति तक = ६४ / ५१ भभोग होगा।
भयात साधन : ५९/४२ /३० इष्टकाल - ५९ /३७ गत नक्षत्र = ०० / ०५ / ३० भयात होगा।
सुविचार :
जो कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखते है जैसे - समुंद्र , जो बदला छोड़ बदलाव को गले लगाते है जैसे -कामयाबी , जो पानी से नहीं पसीने से नहाकर वस्त्र बदलते है जैसे - इतिहास उनके पास पुरुषार्थ, दिल, हिम्मत, साहस , धैर्य , ईमानदारी, चरित्र , सिद्धांत और नियम रुपी खजाना होता है।
प्रणाम , ज्योतिर्विद एस एस रावत
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