१- सही फैसले लेना आम बात है, फैसले लेकर उनको सत्यापित करना ख़ास है।
गलती एक ही कदम पर, रिश्ते पुरे सफ़ऱ पर , लड़खड़ाकर चलने से रिश्ते खोने जैसा है। कदमों को मजबूती से रखा जा सकता है, किन्तु अच्छे लोग या रिश्ते भाग्य कभी कभी ही मिलते है।
२- यदि हम अकेले है तो हमको अधिक विचारों से बचना चाहिए, और यदि हम समूह में है तो अधिक बोलने से बचना चाहिए , ठीक इसी प्रकार रिश्ते अगर भावनाओं से बने है, तो जुड़े रहते है. और यदि स्वार्थ से बने है, तो एक ना एक दिन टूट ही जाते है।
३- हम सब खिलाडी की भूमिका में होते है, खेल हमारी जिंदगी है, फिर कोई अच्छा खिलाडी बनता है, तो कोई साधारण, लेकिन यह भी सही है, हम जिस कार्य के लिए चुने गए है। सृष्टि या परमात्मा हमको वही पहुँचाती है। एक और बात हम जितना थकते है, भीतर से उतना ही मजबूत होते है, अथार्त जिंदगी कुछ न कुछ देती ही है।
४- किस पद में विराजमान है यह महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि हमारे अंदर कौन से गुण, आदर्श, सिद्धांत, मानवता है , यह महत्वपूर्ण है। इसलिए व्यक्ति भीतर मन को सजाने - सवारने में लग जाएँ, क्योंकि आपको यदि कोई सम्भाल सकता है। तो वह सिर्फ आप ही है।
५- यदि परिस्थिति अनुकूल ना हों तो, आप अपने मन को अनुकूल करके देखिए, सब कुछ अनुकूल लगने लगेगा। क्योंकि साहस, जीवट समग्र कष्टों का एक मात्र दवा है।
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