२- भुक्त प्रकार से लग्न साधन :
तात्कालिक सूर्य ० २ / १४ /४३ /४१ + अयनांश २३ / ५६ / ४३ = सायन सूर्य ० ३ / ० ८ /४० / २४ अथार्त सूर्य का भुक्तांश ०० / ०८ / ४० / २४ को सूर्य के उदयमान कर्क राशि ३४२ ( स्वोदयमान ) से गुणा कर = २७३६ / १३६८० / ८२०८ को ६० से सवर्णित करने पर प्राप्त २९६६ / १६ / ४८ इसमें ३० से भाग देने पर ९८ / ५२ / ३३ भुक्त पल।
६० घटी - १३ / १० इष्टकाल = ४६ /५० * ६० = २८१० / ०० / ०० शेषपल
२८१० / ०० / ०० - ९८ / ५२ / ३३ भुक्तपल = २७११ / ०७ / २७ शेष
२७११ / ०७ / २७ शेष , इसमें मेषादि उत्क्रम से राशियों के स्वोदयमान घटाने पर चूँकि सायनसूर्य कर्क राशि का है अतः हम यहाँ पर मिथुन राशि से उत्क्रम राशियों के स्वोदयमान को घटाएंगे।
२७११ / ०७ / २७ - ३०४ मिथुन = २४०७ - २५४ वृष = २१५३ - २२१ मेष = १९३२ - २२१ मीन = १७११ - २५४ कुम्भ = १४५७ - ३०४ मकर = ११५३ - ३४२ धनु = ८११ - ३४४ वृश्चिक = ४६७ - ३३५ तुला = १३२ / ०७ / २७ शेष
कन्या राशि का मान नहीं घटने के कारण तुला राशि शुद्ध व कन्या राशि अशुद्ध संज्ञा होगी पुनः शेष को ३० से गुणा कर अशुद्ध राशि के स्वोदयमान से भाग देना होगा।
१३२ / ०७ / २७ शेष गुणा ३० = ३९६० / २१० / ८१० को सवर्णित करने पर प्राप्त लब्धि ३९६३ / ४३ / ३० इसमें अशुद्ध राशि के स्वोदयमान से भाग देने पर ३९६३ / ४३ / ३० भाग ३३५ से = ११ / ४९ / ५५ लब्धि।
०६ / ०० / ०० /०० अशुद्ध राशि संख्या
- ११ / ४९ /५५ लब्धि
०५ / १८ / १० / ०५ सायन लग्न
- २३ / ५६ / ४३ अयनांश
०४ / २४ / १३ / २२ निरयन लग्न ( सिंह लग्न )
इस प्रकार आपने देखा होगा भोग्य प्रकार और भुक्त प्रकार दोनों से समान राशि कला विकला का लग्नमान प्राप्त हुआ। यदि आप दोनो ही विधि से लग्न साधन करके एक समान लब्धि प्राप्त करते है तो आपका लग्न साधन शतप्रतिशत शुद्ध होगा।
लग्न साधन में विशेष कुछ बाते है उसको हम अगली पोस्ट में जानेंगे।
आज का सुविचार :
जन्म का कारण भाग्य, मृत्यु का कारण समय, मृत्यु के बाद याद रखने का कारण कर्म, मुस्कराने की कोई वजह मत ढूढ़िए, मुस्कराते रहिए , क्योंकि कभी सुख , तो कभी दुःख आते जाते ही रहते है, चीजों को स्पष्ट समझना हो तो प्यार और नफरत दोनों को हटाकर देखिए। पृथ्वी में हर चीज़ ही खेल है, एक को बोती है, तो दूसरे को खोती है।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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