१- भोग्य प्रकार से लग्न साधन :
तात्कालिक सूर्य ० २ / १४ /४३ /४१ + अयनांश २३ / ५६ / ४३ = सायन सूर्य ० ३ / ० ८ /४० / २४ अथार्त कर्क राशि इस राशि में में सायन सूर्य को घटाने पर ०४ / ०० /००/ ०० - ०३ /०८ / ४० / २४ प्राप्त अंतर ०० / २१ / १९ /३६ भोग्यांश अब इसी भोग्यांश को सायन सूर्य के स्वोदयमान से गुणा कर पर।
०० / २१ / १९ /३६ को ३४२ से गुणा = ७१८२ / ६४९८ / १२३१२ को ६० से सवर्णित करने पर प्राप्त लब्धि ७२९३ / ४२ / १२ हुआ। अब इसमें ३० से भाग देने पर २४३ / ०७ / २४ भोग्यपल आया। अब इष्टकाल को इष्ट पल बनाकर भोग्य पल को घटाना होगा। १३ / १० इष्ट काल गुणा ६० = ७९० / ०० / ०० इष्ट पल में - भोग्य पल २४३ / ०७ / २४ = ५४६ /५२ /३६ शेष।
शेष में यथा संभव राशियों का स्वोदयमान घटाना होगा चुकी सायनसूर्य कर्क राशि का था अतः हम सिंह राशि के स्वोदयमान से क्रमपूर्वक राशियों का स्वोदयमान घटाएँगे।
५४६ / ५२ / ३६ - ३४४ सिंह राशि का स्वोदयमान = २०२ / ५२ / ३६ इसमें कन्या राशि का स्वोदयमान घट नहीं सकता इसलिए सिंह राशि शुद्ध व कन्या राशि अशुद्ध संज्ञा होगी। अब उपरोक्त शेष संख्या को ३० से गुणा कर ६० से सवर्णित कर अशुद्ध राशि के स्वोदयमान से भाग देंगे।
२०२ / ५२ / ३६ गुणा ३० = ६०६० / १५६० / १०८० अब ६० से सवर्णित करने पर प्राप्त लब्धि ६०८६ / १८ / ०० होगा इस लब्धि में अशुद्ध राशि कन्या के स्वोदयमान ३३५ से भाग देने पर ६०८६ / १८ / ०० को भाग ३३५ देने पर लब्धि १८ / १० / ०५ अंषात्मक लब्धि प्राप्त हुई अब इसको शुद्ध राशि संख्या में जोड़ने पर सायन लग्न होगा।
शुद्ध राशि संख्या ०५ / ०० / ०० /०० + में प्राप्त लब्धि जोड़ने पर ०० / १८ / १० / ०५ = ०५ / १८ / १० / ०५ सायन लग्न - अयनांश २३ / ५६ /४३ = ०४ / २४ / १३ / २२ निरयन लग्न अथार्त लग्न ४ राशि २४ अंश १३ कला २२ विकला ( सिंह लग्न ) प्राप्त हुआ।
सुविचार :
बच्चे की जिद्द पूरी करेंगे तो तात्कालिक खुश रहेगा, संस्कार देंगे तो जीवनभर खुश रहेगा। किसी को कुछ देना है तो ज्ञान दीजिए, उम्रभर उसको काम आयेगा। चीजों की कीमत मिलने पहले, और इंसान की कीमत खोने के बाद पता चलता है। निराशा जब पूर्णतः कामयाब होती है, उसी समय विवेक सम्पूर्ण नष्ट हो जाता है।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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