भयात भभोग :
३- नक्षत्र की वृद्धि होने पर भयात भभोग का साधन :
( दूसरा प्रथम सूर्योदय से द्वितीय सूर्योदय तक ) यदि दोनो सूर्योदय के मध्य जातक का जन्म होता है तो ६० घटी में गत नक्षत्र घटाकर इष्टकाल जोड़ने पर भयात होता है। भभोग का साधन प्रथम नियम से ही होगा।
उदाहरण :
मान लीजिए जन्म समय १०/३० , इष्टकाल १२/१० , गत नक्षत्र अनुराधा ५९/३७
६०/०० घटी - ५९/३७ गत अनुराधा = ०० /२३ शेष + १२/ १० इष्टकाल = १२/३३ भयात होगा।
६०/०० घटी - ५९/३७ गत अनुराधा = ०० /२३ शेष + ६० घटी + ४/२८ द्वितीय सूर्योदय से नक्षत्र के समाप्ति तक = ६४ / ५१ भभोग होगा।
सुविचार :
जीवन में कोई रास्ता कभी बंद नहीं होता और नहीं होता लक्ष्य को अभेद रहने का कोई दुर्गभाग्य। छोड़े हिम्मत, नहीं कोई योजना, भगवान भरोसे बोलना, निकल जाय कालखंड तो भाग्य को कोसना।
पक्के इरादे, बुलंद हौसले, कभी कोई कसर नहीं छोड़े, किस्मत खुद ही लिख डाले एक भी पन्ना खली ना रखे, परिश्रमी - पराक्रमी को भाग्य तो क्या प्रभु भी अकेला ना करे ।
प्रणाम , ज्योतिर्विद एस एस रावत

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