दशम लग्न साधन :
उदाहरण :
सायन सूर्य ३ /८ / ४० / २४ , पूर्व नत ३ / ४६ / ३० पूर्व नत होने के कारण दशम लग्न भुक्त प्रकार से किया जायेगा। सायन कर्क राशि का है इसलिए कर्क राशि संख्या में सायन सूर्य के भुक्तांश को घटाएंगे। ०४ / ०० / ०० / ०० - ०३ / ०८ / ४० / २४ = ०८ / ४० / २४ को कर्क राशि के लंकोदयमान से गुणा करेंगे।
०८ / ४० / २४ गुणा ३२३ कर सवर्णित करके प्राप्त लब्धि २८०१ / २९ / १२ को अब ३० भाग देंगे ९३ / २२ / ५८ भुक्त पल।
पूर्व नत ३ / ४६ / ३० गुणा ६० = २२६ / ३० / ००
नत पल २२६ / ३० / ००
भुक्त पल - ९३ / २२ / ५८
शेष १३२ / ०७ / ०२
चूँकि शेष में मिथुन राशि का लंकोदयमान घटाया नहीं जा सकता इसलिए कर्क राशि शुद्ध व मिथुन राशि अशुद्ध संज्ञा होगी। शेष १३२ / ०७ / ०२ को ३० से गुणा कर ६० सवर्णित करने पर प्राप्त लब्धि ३९६३ / ३० / ०० अब इस लब्धि में अशुद्ध राशि के लंकोदयमान से भाग देना होगा
३९६३ / ३० / ०० भाग ३२३ = १२ / १६ / १५ पुनः इस लब्धि को अशुद्ध राशि संख्या में घटाने पर।
अशुद्ध राशि संख्या ०३ / ०० / ०० / ००
भागफल लब्धि - १२ / १६ / १५
सायन दशम लग्न ०२ / १७ / ४३ / ४५
अयनांश - २३ / ५६ / ४३
निरयन दशम लग्न = ०१ / २३ / ४७ / ०२ ( वृष राशि दशम लग्न )
सुविचार :
आप इतना काम कीजिए कि आपको बताना, समझाना ही नहीं पड़े, बल्कि आपका काम ही सब कुछ बोल दे। और यदि आप आधे काम से लौट जाते है, तो क्या पता लौटने में जितना समय आपको लगेगा, उससे भी कम समय में आप लक्ष्य तक पहुँच जाते। साकारत्मक + निरंतर प्रयास = सफलता अथार्त लक्ष्य प्राप्ति।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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