भयात भभोग :
४ - नक्षत्र की छय होने पर भयात भभोग का साधन :
यदि किसी नक्षत्र में सूर्योदय नहीं होता ऐसे नक्षत्र को छय नक्षत्र कहा जाता है अथार्त जो नक्षत्र सूर्योदय के बाद प्रारम्भ हो और अगले दिन के सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाय ऐसे नक्षत्र को छय नक्षत्र कहते है। छय नक्षत्र का भयात भभोग भी तीन भागों में किया जाता है। पहला छय नक्षत्र में जन्म होने पर, दूसरा छय नक्षत्र के बाद व दूसरे दिन के सूर्योदय से पूर्व जन्म होने पर , तीसरा अगले सूर्योदय के बाद जन्म लेने पर।
उदाहरण : पहला छय नक्षत्र में जन्म होने पर :
इष्टकाल में गत नक्षत्र का मान घटाकर लब्धि भयात एवं छय नक्षत्र का मान भभोग होगा।
मान लीजिए यदि : गत नक्षत्र मृगशिरा ० ०/ १२ , जन्म समय १० / ३० प्रातः , इष्टकाल १२ /५७ /३० , वर्तमान नक्षत्र ( छय ) ५८ /१० हो तो
इष्टकाल १२ /५७ /३० - ००/१२ गत नक्षत्र = १२ / ४५ / ३० भयात होगा।
छय नक्षत्र का सम्पूर्ण मान ५८ / १० भभोग होगा।
सुविचार :
हमें अपना काम, कर्त्तव्य पर ही ध्यान देना चाहिए , आप कितना खुश है ये सोचने के वजाय आपसे कितने खुश है इस बात को सोचना चाहिए। आप किसी से कोई उम्मीद मत रखिए, क्योकि लोग तो आपसे पूछते है कि आप क्या काम करते है, वास्तव में वो आपको कितनी इज्जत देनी है इसका अंदाजा लगाते है।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें