भयात भभोग :
३- नक्षत्र की वृद्धि होने पर भयात भभोग का साधन :
( तीसरा द्वितीय सूर्योदय से नक्षत्र समाप्ति तक ) यदि द्वितीय सूर्योदय से नक्षत्र समाप्ति के मध्य जन्म हो तो ६० घटी में गत नक्षत्र का मान घटाकर शेष में ६० घटी एवं इष्टकाल जोड़ने पर भयात होगा, भभोग प्रथम नियम से ही होगा।
उदाहरण : जन्म समय ६ /०० गत नक्षत्र अनुराधा ५९/३७ , इष्टकाल ३/ २५ है तो
६० /०० घटी - ५९/३७ गत नक्षत्र अनुराधा = शेष ००/२३ + ६० घटी + ३ / २५ इष्टकाल = ६३ /४८ भयात होगा।
प्रथम नियम के अनुसार ६४ / ५१ भभोग होगा।
सुविचार :
स्नेह, प्रेम , प्रीति, जुड़ाव, लगाव, हितैषी, निःस्वार्थ जैसे अनेक शब्द यदि हमारे भीतर मन, आत्मा, स्वाभाव में है तो हम हार कर भी जीत जाते है, यदि घृणा, क्रोध ,घमंड, अहंकार, जलन, विरोधी, ईर्ष्या, द्वेष आदि। व्यक्ति सफल होकर भी नीचे गिर जाते है। एक शब्द में कहूँ तो प्रेम जीत , घृणा हार तक अवश्य पहुँचा देती है।
प्रणाम , ज्योतिर्विद एस एस रावत
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें