भाग्य :
भाग्य कर्म से बड़ा है, यदि भाग्य ना हो तो, कर्म करने के उपरान्त भी उचित फल प्राप्त दिखाई नहीं देता क्योंकि भाग्य शेष में कमी होती है। इसलिए भाग्य हमेशा ही कर्म से बड़ा होता है। किन्तु भाग्य का उदगम कर्म से है। अतः कर्म किये बिना भाग्य उचित फल नहीं दे सकता है। अथार्त ( भाग्य का धन कर्म और कर्म का व्यय भाग्य )
कर्म :
कर्म किये बिना कोई लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता है। कर्म जैसा, फल वैसा ही होगा। कर्म फल ही भाग्य का व्यय कारक है। विधाता भाग्य अभिकलन, गणना कर उसके फल को उचित उपयुक्त रखते है। मनुष्य को कर्म की अभिकलन, गणना करने की शक्ति विधाता ने प्रदान की है। जैसा भी कर्म मनुष्य द्वारा किया जाता है, फल की गणना कर विधाता भाग्य तय करते है।
भाग्य बड़ा या कर्म :
जैसा की आप जानते है, कि भाग्य कर्म से बड़ा माना जाता है। किन्तु भाग्य से पहले कर्म होता है, अथार्त पहले कर्म उसके बाद भाग्य। भाग्य अथार्त हिस्सेदारी ( भाग्य फल शेष ) व्यक्ति के कर्म फल का भोग जो भी शेष रहता है, वही भाग्य है। यही कारण है हम उसको पूर्व जन्म का भाग्य भी कहते है। भाग्य को मनुष्य लेकर भी आते है। और भाग्य का निर्माण प्रत्येक दिन भी कर रहे है। क्योंकि भाग्य का उदगम कर्म से होता है।और कर्म मनुष्य प्रत्येक दिन ही करते है।
जातकों द्वारा मुझे सबसे अधिक पूछे जाने वाला प्रश्न भी यही है। कि मेरा भाग्य कैसा है। थोड़ा सोचिये, आप भाग्य के भरोसे इतना है कि कर्म को अनदेखा कर सिर्फ भाग्य के पीछे या भरोसे में है, यह जानने में अधिक उत्साहित है, जबकि वह भाग्य पूर्व जन्म के कर्म के शेष फल को प्रदान करेगा अथवा वर्तमान जन्म में किये गए कर्म फल को प्रदान करेगा। दूसरे शब्दों में कहूँ तो
थोड़ा सोचिये इस जन्म के कर्म का फल जो भाग्य परणित हो रहा है। वह जब आपको उचित उपयुक्त अनुभूत नहीं होता, तब व्यक्ति भाग्य के बारे में जानना चाहता है, या भाग्य को दोष देने लग जाता है। जबकि व्यक्ति स्वयं के कर्मो को नहीं देखता और कर्म के बारे में पूछता नहीं, एवं कर्म को कभी दोष भी नहीं देता है।
अथार्त : पूर्व जन्म कर्म फल ( भाग्य ) ही नहीं, इस जन्म के कर्म फल ( भाग्य ) के संतुलन से भोग करना संभव होगा।
सुप्रभात : एस एस रावत
॥ हर हर महादेव ॥ 🙏🙏🙏
अनंत काल से ज्ञात है... कर्म करो भाग्य के भरोसे नहीं रहो... सुंदर वर्णन किया है आपने.... जानती मानती हूँ इसे..... अनुभव भी किया है 🙏
जवाब देंहटाएंआपके विचारों से ज्ञात होता कि आप कर्म और भाग्य का संतुलन बना कर जीवन को विशेष रूप से यापन ( जि ) रहे है। आपका कल्याण हो, आपके विचारों से प्रेरणा लेकर हम प्रयास यों ही जारी रखेंगे ।
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