कभी कभी जीवन में सभी रास्ते बंद हो जाते है। ऐसे समय में क्या करना चाहिए। यह एक आम प्रश्न है आइये इस विषय में चित चिंतन कर समझने का प्रयास करते है। यदि जीवन के हर रास्ते बंद हो चुके है तो आप भी वही करिये जैसा आपको मिल रहा है। आप भी सभी लोगों का, विषय, वस्तु आदि का रास्ता बंद कर दीजिए अथार्त जैसा मिला वैसा ही दे दीजिए। पुनः सरलता से उक्त सभी तथ्यों को समझते है। सर्व प्रथम आप अपने अतीत को भूल जाइये, उन लोगों को छोड़ दीजिए जो परोक्ष, अपरोक्ष रूप से उत्तरदायी थे, स्वयं की उन आदतों, व्यवहार, दुर्रव्यसन सभी का त्याग कर दीजिए और अब शहर को भी छोड़ कर अन्य शहर में अकेले ही चले जाइये। हालांकि यह कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं, यदि बात कठिनाई की हो तो पुनः याद रखिये कठिनाई तो वैसे भी है और सभी रास्ते बंद भी हो चुके है। परिणाम भी सामने में दिखाई दे रहा है। अतः आप आगे बढिये। एक नई शुरुआत करिये, यह आपके लिए बहुत उपयोगी, उचित, उपयुक्त रहेगा।
अब आप एक नई जगह जाकर, जीवन जीना शुरू कर दीजिए। नया कार्य शुरू कर दीजिए, नये मित्र बनाना शुरू कर दीजिए, नए विचार, नई आदत बनायें, व्यस्त रहिए अथार्त सब कुछ नया कर दीजिए। आपके सारे रास्ते खुल जाएँगे। जब आपको पूर्ण सफलता मिल जाय, तब यदि आवश्यक हो तो सज्ज हो कर, चाहें तो उन लोगों को फिर एक बार मौका दीजिए जो आपके रिश्ते में पीछे छूट गये थे। यह निजी तौर से तय किया जाना चाहिए। देश, काल, परिस्थिति व्यक्ति विशेष की अलग अलग जरूरतें होती है।
किसी ने आपको छोड़ दिया या साथ नहीं दे रहा है ? :
आप सबसे पहले गहरी साँस लें, सृष्टि का धन्यवाद करें, स्वयं का सौभाग्य मान कर अपने जीवन में आगे बढ़िए, जरा सोचिये एक जंगल में कितने राजा होते है ? एक शहर के कितने राजा होते है ? बहुत सारे टीमें आपस में खेलते है फिर कितने टीम जीत अर्जित करते है ? जिस व्यक्ति ने आपको छोड़ा था, क्या उसने आपको नंबर १ बनाना था, जिसके लिए आप इतना दुखी, व्याकुल, परेशान है ?
ऐसा भी तो हो सकता है कि आपके द्वारा कोई बड़ा काम होना है। उस काम के लिए सृष्टि ने आपको चुना है, क्योंकि सृष्टि किसी एक को ही चुनती है। अकेले चलना बहुत हिम्मत का काम है, लेकिन जिन्होंने भी बहुत ऊंचा मुकाम हासिल किया है, उन्होने शुरुआत अकेले ही की है। योग्यता के अनुसार सृष्टि तय करती करती है कि आपको भोजन किस प्रकार भोग करना है। यह पात्रता आपके पास होती है इसीलिए आपका चुनाव चयन किया गया है।
समाज में यह भी कहा जाता है। अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। अकेला क्या कर सकता है। ऐसा आपने सुना होगा। लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है। व्यक्ति का जन्म, शिक्षा,विवाह मृत्यु आदि सब अकेले ही होता है। यहाँ तक की भोजन का निवाला भी अकेले ही लेता है, धन भी अकेला ही लेता है आदि। फिर कार्य के लिए बहाना क्यों ? क्या स्वयं की कोई कमजोरी छुपानी है ? थोड़ा सोचिए, अगर कार्य अकेले नहीं होते , तो आज सौरमण्डल में असंख्य सूर्य होते।
सही या गलत का निर्णय कैसे किये जाना चाहिए ?
वास्तव में सही या गलत की परिभाषा करना बहुत कठिन है। क्योंकि यह समय, उद्देश्य, जरुरत, स्थान व्यक्ति और पक्ष के आधार पर तय किया जाता है। इसलिए सही क्या है, गलत क्या है कुछ भी कहना कठिन है। झूठ बोलना गलत है लेकिन कई परिस्थितियों में यह सही भी हो सकता है। जो चीज कल गलत थी वो आज सही भी हो सकती है और जो कल सही थी वो आज गलत भी हो सकती है। सही या गलत की परिभाषा हर व्यक्ति के लिये अलग-अलग होती है, क्योंकि हर व्यक्ति की परिस्थितियां अलग-अलग होती है। हम सभी दोहरी मानसिकता में जीते हैं। अगर कोई कार्य हम करें तो वह हमें सही लगता है लेकिन कोई और करें तो हम उसे गलत बताते हैं। ऎसा क्यों? एक ही चीज़ के दो अलग अलग जगह नाम और उसके गुण दोष समझाये जाते है जैसे सोमरस और मदिरा, जल और पानी, टीवी अथवा सिनेमाहॉल में फिल्म को व्यक्ति जिस तन्मयता से देखता है और यदि वैसा ही किरदार उसके आस-पास हो तो उसको वह गलत कहता है आदि।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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