भयात भभोग :
दूसरा - छय नक्षत्र के बाद व दूसरे दिन के सूर्योदय से पूर्व जन्म होने पर : छय नक्षत्र का सम्पूर्णमान व सूर्योदय से छय नक्षत्र के प्रारम्भ तक के मान को जोड़कर प्राप्त लब्धि को गत नक्षत्र के मान के स्थान पर प्रयोग करना चाहिए। तथा इस योगफल को इष्टकाल में घटाकर भयात एवं ६० घटी में इस योगफल को घटाकर शेष में वर्तमान नक्षत्र का मान जोड़ने ओर भभोग होगा।
उदाहरण :
यदि इष्टकाल ५८ /४७ / ३० , गत नक्षत्र = मृगशिरा ००/ १२, छय नक्षत्र आद्रा ५८ / १० इन दोनों का योगफल = ४८ / २२ गत नक्षत्र माना जायेगा।
इष्टकाल ४८ /४७ /३० - ४८ / २२ गत नक्षत्र = ०० / २५ / ३० शेष ( भयात )
६० / ०० घटी पल , - ४८ / २२ गत नक्षत्र , = १ /३८ शेष + ५७ / ३१ वर्तमान नक्षत्र = ५९ / ०९ भभोग।
तीसरा - अगले सूर्योदय के बाद जन्म लेने पर : यदि द्वितीय सूर्योदय के बाद जन्म हो तो ६० घटी में गत नक्षत्र के मान को घटाकर शेष में इष्टकाल जोड़ने पर भयात होगा तथा शेष में वर्तमान नक्षत्र दृश्यमान जोड़ने पर भभोग होगा।
६० / ०० घटी - ५७ / ३५ गत नक्षत्र = २ / २५ शेष + १३ / ५० इष्टकाल = १६ / १५ भयात होगा ।
२ / २५ शेष + ५३ / ३५ वर्तमान नक्षत्र = ५६ / ०० भभोग होगा।
सुविचार :
स्वयं पर विश्वास हो तो सफल होने में देर नहीं लगती , क्योकि कामयाब लोग अपना रास्ता खुद बनाते है। दूसरों के सफलता देखने के बजाय स्वयं के कुकृत्य को देखिए ,आपको सुझाव नहीं बदलाव चाहिए , अच्छे दोस्त ना मिले तो कोई बात नहीं कम से कम अपनी परछाई ईमानदार रखिए।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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