विशेष :
लग्न साधन में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें
१- लग्न साधन में यदि भोग्यपल से इष्टपल कम हो तो इष्टपल को ३० से गुणा कर सायन सूर्य जिस राशि पर हो उस राशि के स्वोदयमान से भाग देने पर जो लब्धि प्राप्त होगी उसको तात्कालिक सूर्य में जोड़ने पर प्रथम लग्न होगा।
२- सूर्यास्त के बाद एवं मध्यरात्रि से पूर्व लग्न साधन करना हो तो तात्कालिक इष्टकाल में दिनमान को घटाकर शेष को इष्टकाल मानकर तथा तात्कालिक सूर्य में ६ राशि जोड़कर भोग्य प्रकार से साधन किया हुआ लग्न निरयन प्रथम लग्न होगा।
३- मध्य रात्रि के बाद व अगले सूर्योदय से पूर्व यदि लग्न साधन करना हो तो इष्टकाल को ६० घटी में घटाकर शेष को इष्टकाल मानकर भुक्त प्रकार से साधन किया गया प्रथम लग्न होगा।
सुविचार :
आलोचना गुरु तुल्य है, क्योंकि आलोचक प्रमाण देकर ज्ञान देते है, और यदि आरोप लगता हो तो उसे छोड़ दीजिए , क्योंकि उसको आप नहीं , सृष्टि या उसके कर्म सम्मानित कर ही देगी। परन्तु आलोचना हो या आरोप जो भी हो लक्ष्य को कभी मत छोड़िए, क्योंकि लक्ष्य तक पहुँचने के रास्ते भिन्न हो सकते है, किन्तु लक्ष्य एक ही रहता है।
प्रणाम, ज्योतिर्विद एस एस रावत
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